ये कौन गुज़रा है मेरी गली से
साये की तरह गुज़रा इधर से
न जाने किस सोच में फिरता हूँ
वो शख्स दे गया ज़ख्म किधर से
कैसी हवा चली पर बेअसर होकर
ज़ख़्म दिल का भरा गया न उससे
बुत की तरह जी रहा था अभी तक
आईने की तरह बिखर गया मुझसे
साथ था वो धूप छाँव का एहसास था
अब तो मौसम जैसे रूठ गया मुझसे
@मीना गुलियानी
साये की तरह गुज़रा इधर से
न जाने किस सोच में फिरता हूँ
वो शख्स दे गया ज़ख्म किधर से
कैसी हवा चली पर बेअसर होकर
ज़ख़्म दिल का भरा गया न उससे
बुत की तरह जी रहा था अभी तक
आईने की तरह बिखर गया मुझसे
साथ था वो धूप छाँव का एहसास था
अब तो मौसम जैसे रूठ गया मुझसे
@मीना गुलियानी
लाजवाब मीना जी बहुत उम्दा।
जवाब देंहटाएंअपना साया तक इस जहाँ मे बेजार हो जाता हैं
किसी और के तस्सवुर का क्या जो दिल तोड जाता है।
बहुत खूब!!
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