कुछ रिश्ते अनायास ही जुड़ जाते हैं
एक कच्चे धागे से ही बँध जाते हैं
ज़रूरत नहीं होती झूठी रिवायतों की
न ही इन्हें परम्पराओं में कसने की
ज़रूरत नहीं होती रोपने और सींचने की
ज़रूरत नहीं पड़ती खोखले रिवाज़ों की
फिर भी ये रिश्ते वटवृक्ष जैसे पनपते हैं
मन को सुकून प्रेम का एहसास देते हैं
@मीना गुलियानी
एक कच्चे धागे से ही बँध जाते हैं
ज़रूरत नहीं होती झूठी रिवायतों की
न ही इन्हें परम्पराओं में कसने की
ज़रूरत नहीं होती रोपने और सींचने की
ज़रूरत नहीं पड़ती खोखले रिवाज़ों की
फिर भी ये रिश्ते वटवृक्ष जैसे पनपते हैं
मन को सुकून प्रेम का एहसास देते हैं
@मीना गुलियानी
yh pichle jnmon ka koi smbndh hota hai-ashok
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