रफ़्ता रफ़्ता याद में खोकर
भूली दास्ताँ लिख रहा हूँ
कहने को तो भीड़ बहुत है
फिर भी तन्हा लिख रहा हूँ
तुमने पूछा है हाल जो मेरा
ख़ुद को अच्छा लिख रहा हूँ
हुई है रोशन तुमसे दुनिया
चंदा तुमको लिख रहा हूँ
इस ज़मीं से दूर फ़लक तक
तेरा आशियाँ लिख रहा हूँ
महक घुली है साँसो में तेरी
उसकी ऊष्मा लिख रहा हूँ
@मीना गुलियानी
भूली दास्ताँ लिख रहा हूँ
कहने को तो भीड़ बहुत है
फिर भी तन्हा लिख रहा हूँ
तुमने पूछा है हाल जो मेरा
ख़ुद को अच्छा लिख रहा हूँ
हुई है रोशन तुमसे दुनिया
चंदा तुमको लिख रहा हूँ
इस ज़मीं से दूर फ़लक तक
तेरा आशियाँ लिख रहा हूँ
महक घुली है साँसो में तेरी
उसकी ऊष्मा लिख रहा हूँ
@मीना गुलियानी
nice
जवाब देंहटाएंवाह दी...!!!!! कविता में जिंदगी के मायनो को पिरो दिया आपने,"" कहने को तो भीड़ बहुत है फिर भी तन्हा रहा लिख रहा हूं मैं""छोटी सी मगर मन की व्यथा को प्रदर्शित करती सुंदर प्रभावशाली रचना ... धन्यवाद।
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