तेरे आने का धोखा सा हुआ है
दिया ये दिल का जल रहा है
सुना है रात भर बरसा है सावन
ये दिल फिर भी प्यासा रहा है
वो आलम कैसा गुज़रा है मुझ पर
नशा सा कोई जैसे चढ़ता रहा है
कैसे ढूँढूँ तुझको मैं इस जहाँ में
दिल में दर्द सा भरता रहा है
@मीना गुलियानी
दिया ये दिल का जल रहा है
सुना है रात भर बरसा है सावन
ये दिल फिर भी प्यासा रहा है
वो आलम कैसा गुज़रा है मुझ पर
नशा सा कोई जैसे चढ़ता रहा है
कैसे ढूँढूँ तुझको मैं इस जहाँ में
दिल में दर्द सा भरता रहा है
@मीना गुलियानी
वाह.... बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया मीना जी।
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