निःशब्द हो गई है वीणा
फिर से कोई तान सुना दो
तार पड़ गए ढीले ढाले
फिर से इनको कसवा दो
मन में कितनी ही आशाएँ
बलवती हो उठीं बेलों सी
अमरलता कोई बन जाए
ऐसी कोई सुधा पिला दो
सुधियों के वो सुर प्याले
पड़ गए रीते अनचीन्हे से
उन प्यालों को स्पर्श से
तुम पुनर्जीवित करवा दो
@मीना गुलियानी
फिर से कोई तान सुना दो
तार पड़ गए ढीले ढाले
फिर से इनको कसवा दो
मन में कितनी ही आशाएँ
बलवती हो उठीं बेलों सी
अमरलता कोई बन जाए
ऐसी कोई सुधा पिला दो
सुधियों के वो सुर प्याले
पड़ गए रीते अनचीन्हे से
उन प्यालों को स्पर्श से
तुम पुनर्जीवित करवा दो
@मीना गुलियानी
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंहो जा तूं पीपल मै बनू अमर लता तेरी।
जवाब देंहटाएंवाह मीना सी सुंदर तम कोमल भावों वाली अप्रतिम रचना
जल तरंग और पंछियों के चहक सी।
acchi kvita-ashok
जवाब देंहटाएं1 nhin gyan itna ki jivn sfl ho jaaye
jivn mein mere prbhu tum hi tum ho smaaye
tum ne mere jivn mein mein aa kr isko bdla
nv muyon ko kiya prtishthit
bina tere shaare ke main ek kdm bhi kaise chlta-ashok
sundar
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