मुदद्तें बीत गईं जिन्हें मुस्कुराए हुए
कहाँ जाएँ वो जग के ठुकराए हुए
खुश रहते हैं वो अपनी ही तन्हाई में
सदियाँ बीत गईं त्यौहार मनाये हुए
जिंदगी में जाने कितने ग़म समेटे हैं
अरसा गुज़रा है उनको मुस्कुराए हुए
किसी की याद में खोए हुए बैठे हैं
दिल में इक शमा सी जलाए हुए
@मीना गुलियानी
कहाँ जाएँ वो जग के ठुकराए हुए
खुश रहते हैं वो अपनी ही तन्हाई में
सदियाँ बीत गईं त्यौहार मनाये हुए
जिंदगी में जाने कितने ग़म समेटे हैं
अरसा गुज़रा है उनको मुस्कुराए हुए
किसी की याद में खोए हुए बैठे हैं
दिल में इक शमा सी जलाए हुए
@मीना गुलियानी
उम्दा गजल ।
जवाब देंहटाएंशुभ दिवस ।
बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब!!!
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