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शनिवार, 11 फ़रवरी 2017

मीठे बोल मुँह से बोल तो ज़रा

तुझको निहारने से कभी मन नहीँ भरा
तुम ही मुझे बताओ ये क्या है माज़रा

क्यों आ गईं माथे पे तुम्हारे सिलवटें
क्यों हर बात पे सोचते बतलाओ ज़रा

शोहरत तो तुम्हारे कदम चूमेगी मगर
तुम अभी से न इतना इतराओ तो ज़रा

यूँ तो बगिया ये सारी वीरान ही पड़ी है
दिल का ये चमन है फिर भी हरा भरा

तन्हा ज़िन्दगी का सफर काटे नहीँ कटता
कुछ मीठे मीठे बोल मुँह से बोल तो ज़रा
@मीना गुलियानी 

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