तुझको निहारने से कभी मन नहीँ भरा
तुम ही मुझे बताओ ये क्या है माज़रा
क्यों आ गईं माथे पे तुम्हारे सिलवटें
क्यों हर बात पे सोचते बतलाओ ज़रा
शोहरत तो तुम्हारे कदम चूमेगी मगर
तुम अभी से न इतना इतराओ तो ज़रा
यूँ तो बगिया ये सारी वीरान ही पड़ी है
दिल का ये चमन है फिर भी हरा भरा
तन्हा ज़िन्दगी का सफर काटे नहीँ कटता
कुछ मीठे मीठे बोल मुँह से बोल तो ज़रा
@मीना गुलियानी
तुम ही मुझे बताओ ये क्या है माज़रा
क्यों आ गईं माथे पे तुम्हारे सिलवटें
क्यों हर बात पे सोचते बतलाओ ज़रा
शोहरत तो तुम्हारे कदम चूमेगी मगर
तुम अभी से न इतना इतराओ तो ज़रा
यूँ तो बगिया ये सारी वीरान ही पड़ी है
दिल का ये चमन है फिर भी हरा भरा
तन्हा ज़िन्दगी का सफर काटे नहीँ कटता
कुछ मीठे मीठे बोल मुँह से बोल तो ज़रा
@मीना गुलियानी
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