सुना है डूबते को तिनके का सहारा काफी है
फिर से नए ख़्वाब ये जिंदगी बुनने लगी
हरी हरी घास ने दे दी है अपनी कोमलता
फूलों की पत्तियों ने लुटा दी अपनी सुंदरता
उनका मकरन्द भी चुराया पवन ने भँवरों ने
उसको अपने गीतों में चुपचाप मैं सँजोने लगी
मधुर सपने जो देखे आँखों ने मैं उनमें खोने लगी
मन स्वच्छन्द सा उडा जाता है हवा के झोंके से
दिल की तरंग मृदंग की थाप सी बजने लगी
पृथ्वी का स्पर्श मेरे अन्तर्मन को फिर छू गया
प्रकृति के इस आँगन में सृजन उत्सव भर गया
मेरी पलकें सृजन के स्वप्न फिर बुनने लगी
उन सुखद पलों के एहसास बन्द आँखे करने लगी
@मीना गुलियानी
फिर से नए ख़्वाब ये जिंदगी बुनने लगी
हरी हरी घास ने दे दी है अपनी कोमलता
फूलों की पत्तियों ने लुटा दी अपनी सुंदरता
उनका मकरन्द भी चुराया पवन ने भँवरों ने
उसको अपने गीतों में चुपचाप मैं सँजोने लगी
मधुर सपने जो देखे आँखों ने मैं उनमें खोने लगी
मन स्वच्छन्द सा उडा जाता है हवा के झोंके से
दिल की तरंग मृदंग की थाप सी बजने लगी
पृथ्वी का स्पर्श मेरे अन्तर्मन को फिर छू गया
प्रकृति के इस आँगन में सृजन उत्सव भर गया
मेरी पलकें सृजन के स्वप्न फिर बुनने लगी
उन सुखद पलों के एहसास बन्द आँखे करने लगी
@मीना गुलियानी
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