मैंने तो सोचा था चिरागाँ करेंगे हर दिल को
इक चिराग भी मय्यसर नहीँ है अपने लिए
इस शहर में अब कोई भी हमदम न बचा
चलो कहीँ दूर चलें छोड़के ताउम्र के लिए
कहीँ भी देखो सब ख़ाक ही नज़र आये
कोई हँसी नज़ारा न बचा नज़र के लिए
सब संगदिल ही हैं जो यहॉ पे बसते हैं
कैसी आवाज़ लाऊँ यहॉ असर के लिए
मेरा गुलशन भी तूफां से इस कदर उजड़ा
सुकूँ दिल का मिट गया उम्र भर के लिए
@मीना गुलियानी
इक चिराग भी मय्यसर नहीँ है अपने लिए
इस शहर में अब कोई भी हमदम न बचा
चलो कहीँ दूर चलें छोड़के ताउम्र के लिए
कहीँ भी देखो सब ख़ाक ही नज़र आये
कोई हँसी नज़ारा न बचा नज़र के लिए
सब संगदिल ही हैं जो यहॉ पे बसते हैं
कैसी आवाज़ लाऊँ यहॉ असर के लिए
मेरा गुलशन भी तूफां से इस कदर उजड़ा
सुकूँ दिल का मिट गया उम्र भर के लिए
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें