दिल मेरा कहीँ भी न मिला
आँगन में कोई फूल न खिला
अम्बर पे चाँद भी न घटा
बादलों में सूर्य जा छिपा
हँसी मेरी बन गई बेवफा
चुप की हमने सुनी है सदा
लहू का बहा दिया दरिया
धरती को दिया आज नहला
दर्द को इतना दिया गला
@मीना गुलियानी
आँगन में कोई फूल न खिला
अम्बर पे चाँद भी न घटा
बादलों में सूर्य जा छिपा
हँसी मेरी बन गई बेवफा
चुप की हमने सुनी है सदा
लहू का बहा दिया दरिया
धरती को दिया आज नहला
दर्द को इतना दिया गला
@मीना गुलियानी
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