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शनिवार, 4 फ़रवरी 2017

दर्द को इतना दिया गला

दिल मेरा कहीँ भी न मिला

आँगन में कोई फूल न खिला

अम्बर पे चाँद भी न घटा

बादलों में सूर्य जा छिपा

हँसी मेरी बन गई बेवफा

चुप की हमने सुनी है सदा

लहू का बहा दिया दरिया

धरती को दिया आज नहला

दर्द को इतना दिया गला
@मीना गुलियानी 

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