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गुरुवार, 2 फ़रवरी 2017

लरज़ते प्यालों में कहाँ

तुम्हारी आँखों में जो नशा है
वो इन लरज़ते प्यालों में कहाँ

             हम तो भूले से तेरे साये से  लिपट जाते हैं
            जो कसक तुझमें है सागरो मीना में कहाँ

करता हूँ इबादत गर कबूल हो जाए
सहर हो तेरी पर मेरा आफताब कहाँ

             अब तड़पती हुई ग़ज़ल तुम सुना दो मुझे
             जो  जुनून  तेरे प्यार में है वो और कहाँ
@मीना गुलियानी 

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