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बुधवार, 22 फ़रवरी 2017

कान्हा राधा पुकारे आज

कान्हा राधा पुकारे आज, प्यारे आ जाओ इक बार
कान्हा आ जाओ न ठुकराओ,मेरी नैया लगादो पार

कान्हा तूने मुझे बिसराया है
ये कैसी तुम्हारी माया है
नित बहती है अँसुअन धार

जब याद तेरी मुझे आती है
तन मन की सुध बिसराती है
तुझपे तन मन दूँ मैं वार

कान्हा बिछुड़े हुए युग बीत गए
क्यों मीत  मेरे तुम रूठ गए
अब सपने करो साकार
@मीना गुलियानी 

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