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मंगलवार, 21 फ़रवरी 2017

जिंदगी तेरे एहसास में डूबी थी

तुम्हारी याद के पल कितने सुहाने थे
हवा भी गीत गुनगुनाती थी
तेरे इंतज़ार में लोरियाँ सुनाती थी
मेरे तड़पते हुए दिल को बहलाती थी
धूप मेरे आँगन में खिल जाती थी
तुम मेरे बाज़ुओ में सिमट जाती थी
चारों दिशाओं में तुम्हारी हँसी गूँजती थी
जिन्दगी तुम्हारे प्यार पर फ़िदा होती थी
तुम्हारी लरज़ती चाल याद आती थी
तब मेरी रूह भी कांप जाती थी
तुम्हारे बालों से पराग केसर झड़ते थे
जो तुम्हारे नाज़ुक कपोलों को चूमते थे
अंगुलियाँ बालों में तुम लपेटे थी
जिसमें सारा जहाँ तुम समेटे थी
जिस्म मोम सा सांचे में ढला था
मेरी जिंदगी तेरे एहसास में डूबी थी
@मीना गुलियानी 

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