यह ब्लॉग खोजें

सोमवार, 11 जून 2018

गीतों की तान सुनाई

है  मौसम हँसता हँसता नहीं वक्त कभी भी रुकता
चलो सफर  पे बढ़े चलो ये रास्ता कभी न रुकता

मस्ती की बयार छाई तन मन की सुध है बिसारी
झूमे है हर इक पौधा  ,खिल गई हर इक क्यारी
सूरज की लाली छाई , हर कली कली मुस्काई
कोयल भी देखो है कूकी लगा बसंत ऋतु आई

बद्री भी देखो घिर आई चपला दामिनी चमकी
लेकर के नई चित्रकारी मीनाकारी है अंबर की
हंसों की टोली है आई गीतों की गूँजी शहनाई
अंबर ने अपनी मस्ती में गीतों की तान सुनाई
@मीना गुलियानी 

1 टिप्पणी: