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मंगलवार, 19 जून 2018

दीपक बुझा न सके

दिल से हम तुम्हें भुला न सके

साथ आँखों ने हमारा तो दिया
आँसुओं ने सहारा हमें तो दिया
दाग ऐ दिल फिर भी मिटा न सके

चाँद में देखी है तेरी सूरत
रात बन गई एक मुसीबत
गम के बादल हम हटा न सके

आहों ने भी तो आग लगाई
आँसुओं ने बिजली गिराई
हम जले दीपक बुझा न सके
@मीना गुलियानी




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