जग हँस रहा है आज - है हँस रहा गगन
सुरभित समीर कहती कलियों से तुम खिलो
लहरों चली चलो सागर से तुम जा मिलो
जीवन का सुख यही अन्तर का मृदु मिलन
चितवन किसी की भोली मन में समा गई
आकाश गंग सी इक रेखा बना गई
सुधियों के साथ जागे आँखों के यह सपन
जग हँस रहा है आज - है हँस रहा गगन
@मीना गुलियानी
सुरभित समीर कहती कलियों से तुम खिलो
लहरों चली चलो सागर से तुम जा मिलो
जीवन का सुख यही अन्तर का मृदु मिलन
चितवन किसी की भोली मन में समा गई
आकाश गंग सी इक रेखा बना गई
सुधियों के साथ जागे आँखों के यह सपन
जग हँस रहा है आज - है हँस रहा गगन
@मीना गुलियानी
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