यह बंधन ही मुझको प्रियकर
निष्कृति जीवन गति रुक जाना
प्रियतम के प्रियतम बन्धन में
सुख मिलता मुझको मनमाना
चिर बन्धन ही है अमर मुक्ति
जिसमें धरती आकाश बँधे
बन्धन ही प्रेरक है गति का
इसमें प्राणों के पाश बँधे
@मीना गुलियानी
निष्कृति जीवन गति रुक जाना
प्रियतम के प्रियतम बन्धन में
सुख मिलता मुझको मनमाना
चिर बन्धन ही है अमर मुक्ति
जिसमें धरती आकाश बँधे
बन्धन ही प्रेरक है गति का
इसमें प्राणों के पाश बँधे
@मीना गुलियानी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें