यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, 6 जून 2018

इसमें प्राणों के पाश बँधे

यह बंधन ही मुझको प्रियकर
निष्कृति जीवन गति रुक जाना
प्रियतम के प्रियतम बन्धन में
सुख मिलता मुझको मनमाना
चिर बन्धन ही है अमर मुक्ति
जिसमें धरती आकाश बँधे
बन्धन ही प्रेरक है गति का
इसमें प्राणों के पाश बँधे
@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें