मेरे मन में भावनाओं का समुद्र
हर समय उमड़ता ही रहता है
इस ज्वारभाटे को रोका नहीं जा सकता
रोकने पर अश्रुधारा के रूप में ये
प्रवाहित होने लग जाता है
इसके बहाव पर लगाम लगाना
नामुमकिन है , टेढ़ी खीर है
वैसे तो इसके अविरल रूप से
प्रवाहित होने से मन शांत होता है
नैराश्य धुल जाता है चैतन्य
जागृत होने पर आप जिस ओर चाहो
इसे पुन: आकृष्ट कर सकते हो
आध्यात्मिकता ,वैराग्य,भक्ति
कहीं भी मोड़ सकते हो
जीवन की पृष्ठभूमि पर एक
नई व्याख्या लिख सकते हैं
मन के भीतर दीपक प्रज्वलित करके
गहन अन्धकार मिटा सकते हैं
मन को साधकर कुण्डलिनी को
जागृत करके मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं
@मीना गुलियानी
हर समय उमड़ता ही रहता है
इस ज्वारभाटे को रोका नहीं जा सकता
रोकने पर अश्रुधारा के रूप में ये
प्रवाहित होने लग जाता है
इसके बहाव पर लगाम लगाना
नामुमकिन है , टेढ़ी खीर है
वैसे तो इसके अविरल रूप से
प्रवाहित होने से मन शांत होता है
नैराश्य धुल जाता है चैतन्य
जागृत होने पर आप जिस ओर चाहो
इसे पुन: आकृष्ट कर सकते हो
आध्यात्मिकता ,वैराग्य,भक्ति
कहीं भी मोड़ सकते हो
जीवन की पृष्ठभूमि पर एक
नई व्याख्या लिख सकते हैं
मन के भीतर दीपक प्रज्वलित करके
गहन अन्धकार मिटा सकते हैं
मन को साधकर कुण्डलिनी को
जागृत करके मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं
@मीना गुलियानी
आत्म बोध देती रचना।
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट।