ऐ राही तू कहीं पे रुक न जाना
हिम्मत से तू आगे बढ़ते जाना
चाहे चलना पड़े अकेला पर तू मत घबराना
लेके सहारा हिम्मत का आगे कदम बढ़ाना
हो चाहे तेरे आगे कितनी पर्वतों की श्रृंखलाएं
तू है रणबाँकुरा तेरी कितनी सशक्त हैं भुजाएँ
तू चाहे तो पर्वत को चीरकर रास्ता बना ले
हर मुसीबत को दूर करके खुद को भी बचा ले
तेरा मकसद हो हमेशा हर हाल में विजय पाना
चाहे कितने तूफां राहों में आएँ तू मत घबराना
@मीना गुलियानी
हिम्मत से तू आगे बढ़ते जाना
चाहे चलना पड़े अकेला पर तू मत घबराना
लेके सहारा हिम्मत का आगे कदम बढ़ाना
हो चाहे तेरे आगे कितनी पर्वतों की श्रृंखलाएं
तू है रणबाँकुरा तेरी कितनी सशक्त हैं भुजाएँ
तू चाहे तो पर्वत को चीरकर रास्ता बना ले
हर मुसीबत को दूर करके खुद को भी बचा ले
तेरा मकसद हो हमेशा हर हाल में विजय पाना
चाहे कितने तूफां राहों में आएँ तू मत घबराना
@मीना गुलियानी
दिल के सुंदर एहसास
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह आपकी रचना जानदार और शानदार है।
Thanks Sanjay Bhaskar ji for ur beautiful comments
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