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रविवार, 27 जनवरी 2019

सुंदर स्वप्न मैंने देखा

आज मन के तराजू पर
अपनी आस्था को परखा
मन कुछ डांवाडोल रहा
चेतना ने उसका साहस बढ़ाया
वो फिर से कुछ दृढ़ हुआ
जिंदगी में दुःख सुख आते हैं
उनसे घबराना कैसा सामना करो
विधाता की ही दोनों रचना हैं
उनको समभाव से देखो और
उनका सम्मान करो
निर्विकार निर्विकल्प रहकर
मन का मंथन किया
हृदय कल्पद्रुम सा खिल उठा
भावना के ज्वार उठने लगे
मन में वीणा के तार बजे
 सप्तसुर जगने लगे
कोयल कूकने लगी
 मोर नाचने लगा पपीहा गाने लगा
ऐसा लगा मन में इंद्रधनुष खिल उठा
गगन धरा का मिलन हुआ
इड़ा पिंगला सुषुम्ना का तारतम्य हुआ
प्रेमवश अश्रुधारा बहने लगी
हृदय भावविभोर हो उठा
हृदय पटल पर साक्षात हरि जी
सुदर्शनचक्र लेकर विराजमान थे
नभ से फूलों की वर्षा हो रही थी
तभी घड़ी का अलार्म बजा
तो पता चला कितना सुंदर स्वप्न मैंने देखा
@मीना गुलियानी


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