सुन ज़रा मान भी जा और कुछ देर न जा
अभी है पहला पहर थोड़ी देर और ठहर
अभी तो चाँद झिलमिलायेगा
मेरा ये नसीब जाग जायेगा
खुलके बातें करेंगे जी भरके
तुझको देखा नहीं है जी भरके
रौशनी आफताब लायेगी
तारों की फिर बारात आयेगी
डोली मेरी भी तब उठा लेना
मुझको जी भरके तुम मना लेना
आज धरती पे चाँद उतरा है
तेरा मुखड़ा भी कैसा निखरा है
तेरी पलकें झुकी झुकी सी हैं
सांसें तेरी रुकी रुकी सी हैं
@मीना गुलियानी
अभी है पहला पहर थोड़ी देर और ठहर
अभी तो चाँद झिलमिलायेगा
मेरा ये नसीब जाग जायेगा
खुलके बातें करेंगे जी भरके
तुझको देखा नहीं है जी भरके
रौशनी आफताब लायेगी
तारों की फिर बारात आयेगी
डोली मेरी भी तब उठा लेना
मुझको जी भरके तुम मना लेना
आज धरती पे चाँद उतरा है
तेरा मुखड़ा भी कैसा निखरा है
तेरी पलकें झुकी झुकी सी हैं
सांसें तेरी रुकी रुकी सी हैं
@मीना गुलियानी
बेहद रोमांटिक....
जवाब देंहटाएंखूबसूरत रचना।
सुंदर श्रृंगार रचना प्रिय मीना जी |मन की मधुर मनुहार और प्रणय निवदन बहुत ही मनभावन हैं | सस्नेह शुभकामनायें |
जवाब देंहटाएंवाह मनवार मनौवल इश्क की तासीर हैं ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
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