तर्ज -----------इस रंग बदलती दुनिया में
मेरी दाती मेरा तेरे बिन , दुनिया में कोई मीत नही
तू ही मेरी सदा सहाई बन, दुनिया की नीयत ठीक नही
ये जग तो एक लुटेरा है
मै इस पे भरोसा कैसे करूँ
तू आजा मेरी माता अब
दुखिया को सताना ठीक नही
यहाँ दो दिन का ही बसेरा है
मेरे आके फद छुड़ादो तुम
मेरी माता आके लाज रखो
यूं हमको रुलाना ठीक नही
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