तर्ज ------जोत से जोत
गीत भवानी के गाते रहो ,चरणो में सिर को झुकाते रहो
छोड़ के जग की मोह ममता , माँ की शरण में जाते रहो
वो ही माँ है पालनवाली , नव जीवन की दाता
उसका ऋण है सबसे ऊँचा , सबसे ऊपर जाता
उसकी ज्योति जलाते रहो
वो ही सुख को देने वाली , पाप निवारण वाली ,
दुष्ट का नाम खपाने वाली , भक्त उभारण वाली
उसकी लगन को लगाते रहो
जो कोई उसकी जोत जलाता , चौरासी कट जाती ,
छोड़के फंदे पहुंच जाता , अपनी जो है दाती
नेह उसी से लगाते रहो
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