तर्ज ----------परदेसियों से न
माँ तेरे भवन का अजब नज़ारा
गुफा में जोत जगे चले गंगा धारा
गुफा में विराजे , माँ शेरा वाली
शेर सवारी उसकी, लगती निराली
देखे जो रूप माँ का चमके सितारा
माता की शक्ति जग से निराली
अपने भक्तो की करे रखवाली
डूबते हुओ को माँ ने पार उतारा
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