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शनिवार, 6 जून 2015

,माता की भेंट - 117



 आ जा माँ,   मेरे नैन दीवाने तेरी ,  राह निहारे बड़ी देर से 

आजा मेरी मैया तुझे है पुकारा 
तेरे बिन जहां में है कौन हमारा 
देख ले आकर हाल तू मेरा  राह निहारे बड़ी देर से 

माँ गम के भंवर में डूबी मेरी नैया 
माँ पार लगाओ तू ही तो खिवैया 
देर न करना मेरी मैया  राह निहारे बड़ी देर से 

तूने हर दुखी को माँ धीर बंधाया 
बता तूने माता मुझे क्यों बिसराया 
मै हूँ तेरे दर का भिखारी  राह निहारे बड़ी देर से 

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