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सोमवार, 1 जून 2015

माता की भेंट - 41



देख तेरे दरबार की शोभा दर्शन को सब जान ,  दुर्गा मैया का अस्थान 

माता जी की शेर सवारी,, भगतो को है लग रही प्यारी 
मैया कैसी अजब न्यारी , चरणो पे जाऊँ बलिहारी 
ओ मन पाप तेरे मिट जाये , कर सूर्य कुण्ड इस्नान दुर्गा मैया का अस्थान 


भवन की शोभा कैसे लग रही, निशदिन जोत नाम की जग रही 
प्रेम लहर की गंगा चल रही, सब भगतो को सुंदर लग रही 
प्यास मिटे दर्शन करने से होता हे ब्रम्हज्ञान दुर्गा मैया का अस्थान 

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