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शुक्रवार, 5 जून 2015

माता की भेंट - 106



वो खुशनसीब है जिसको तुम्हारा द्वार मिला 
नसीब चमका और चैन बेशुमार मिला 

ज़माने भर की हमने तो खाई ठोकर 
तेरी शरण में आके ज़रा करार मिला 

किये सितम जो ज़माने ने कैसे बतलाये 
मिला सकून जो मुझको तेरा दुलार मिला 

मैया जी भूलकर तुम न कभी खफा होना 
तेरे सिवा न मुझे कोई  राज़दार मिला  

 तेरी शरण हूँ मैया तुम न मुझको ठुकराना 
ज़माने भर से सिला गम  का बार बार मिला 

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