यह ब्लॉग खोजें

सोमवार, 1 जून 2015

माता की भेंट - 43



बग्गे रंग शेर वाली, दाती है तू मेहर वाली ,
दर तेरे ते आ गया , दर तेरे ते आए गया 

शहर शहर दिया संगता माता दर तेरे ते आंदिया ने 
श्रद्धा भाव से तेरी भेंट , खूब ल्यान्दिया ने बग्गे रंग शेर वाली, दाती है तू मेहर वाली 

माता जी दे शेर देखो, बागा दे विच गजदे ने ,
माता जी दे भवन उते  बाजे पये बजदे  ने बग्गे रंग शेर वाली, दाती है तू मेहर वाली 

आया शरण तुम्हारी माँ करदे  बेडा पार जी 
इक वारी माता प्यारी , करदे पूर्ण आस जी बग्गे रंग शेर वाली, दाती है तू मेहर वाली 

महिमा तेरी कहि न जावे, दासी बलिहार जी 
देवा हु दे गल विच सोहे फुला वाली मॉल जी  बग्गे रंग शेर वाली, दाती है तू मेहर वाली 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें