छेती तो छेती आ , दुर्गा जी लाज बचा ;
दर्द भरी ये सुनके सदा छेती तो छेती आ
अकबर ने है शर्त लगाई , घोड़े मेरे की जान गवाई
कहता है शक्ति देवे जिवा
हे शेरा वाली दर्श दिखादे , दास की नैया पार लगा दे
इस जालिम से आन छुड़ा
सुनके अर्ज है मैया जी आये ,छिन में घोड़े को दिया जिवाये
अकबर को दिया ज्ञान सिखा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें