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सोमवार, 1 जून 2015

माता की भेंट - 47



दुर्गा का नाम कभी ,  दिल से न जुदा करना 
यह मानस देहि का है फर्ज अदा करना 

ऐ मैया के भक्तो दर्शन को जाना है 
दुर्गा की महिमा को सब मिलकर गाना है 
जय जय के नारे की ऊँची सी सदा करना 


सावन की घटायें है रूम झूम के बरस रही 
मैया जी के दर्शन को सब संगत टीआरएस रही 
तन मन धन दुर्गा के चरणो पे फ़िदा करना 

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