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बुधवार, 1 मार्च 2017

सर झुकाना पड़ेगा

एक एहसास है जिंदगी प्यार उसमें जगाना पड़ेगा
चाहे सांसे थमने लगी हों गीत ये गुनगुनाना पड़ेगा

गम से बोझिल है ये दिल तो क्या
सामने गर कोई मुश्किल तो क्या
हँसके दूर करके सब उलझनों को
हमको उस पार जाना पड़ेगा

दरिया गहरा है मंझधार है
साथ टूटी सी पतवार है
रखके खुद पे भरोसा चला चल
ये कदम तो बढाना पड़ेगा

क्यों तू इतना यूँ हैरान है
बैठा क्यों तू परेशान है
जिंदगी उसके करदे हवाले
सजदे में सर झुकाना पड़ेगा
@मीना गुलियानी 

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