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गुरुवार, 16 मार्च 2017

स्वच्छन्द उन्मुक्त सा आकाश

मेरा मन भी तलाशता रहता है

स्वच्छन्द उन्मुक्त सा आकाश

जिसमें सुबह सवेरे सूरज करे प्रकाश

शाम को पंछी घरौंदे में करें निवास

बच्चों की किलकारियों से गूँजे आकाश

दें वो भी अपनी उमंगों का आभास

प्रमुदित मन डोले आंगन में हर प्रभात

सन्ध्या में ईश्वर वन्दन का करें अभ्यास

हर चीज़ हो व्यवस्थित मन को भाये बात

स्वागत हो सद्व्यवहार से अपनत्व के साथ
@ मीना गुलियानी 

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