क्या कहें क्या सोचें अपनों ने नहीँ पहचाना
जबकि साया था वो मेरा अब हुआ अनजाना
ये मेरा ही कसूर है मिलता हर बात पे ताना
जिंदगी के ताने बाने में बन्द हुआ आना जाना
कैसी हुई जिंदगी इसे पहनाया इक खुशनुमा जामा
कहें किससे क्यों पसन्द किया खुदगर्ज़ कहलाना
कोई बात नही किसी से नाराज़ नहीँ अब क्या पछताना
अपनों ने अनजाने में जख्म दिए मन को क्या बहलाना
किसी को भी नज़र आये न दरार ऐसे छिपाया याराना
सोचता हूँ कुछ कहता नही सच बोलने से लगा कतराना
रौनके जन्नत भी रास न आई मुझे जहन्नुम में था बेगाना
ये ज़मीन तप रही थी ये मकान तप रहे थे सबसे था अनजाना
@मीना गुलियानी
जबकि साया था वो मेरा अब हुआ अनजाना
ये मेरा ही कसूर है मिलता हर बात पे ताना
जिंदगी के ताने बाने में बन्द हुआ आना जाना
कैसी हुई जिंदगी इसे पहनाया इक खुशनुमा जामा
कहें किससे क्यों पसन्द किया खुदगर्ज़ कहलाना
कोई बात नही किसी से नाराज़ नहीँ अब क्या पछताना
अपनों ने अनजाने में जख्म दिए मन को क्या बहलाना
किसी को भी नज़र आये न दरार ऐसे छिपाया याराना
सोचता हूँ कुछ कहता नही सच बोलने से लगा कतराना
रौनके जन्नत भी रास न आई मुझे जहन्नुम में था बेगाना
ये ज़मीन तप रही थी ये मकान तप रहे थे सबसे था अनजाना
@मीना गुलियानी
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