इन हवाओं में फिर लपट सी आने लगी है
कुछ ठण्डे पानी के छींटे इन पर दीजिये
तुमको भी याद कर लेंगे इस बहाने से हम
दो चार पत्थर ज़रा इधर फेंक तो दीजिये
जीना मरना तो यहाँ लगता ही रहेगा
कुछ घड़ी आराम से ज़रा जी तो लीजिये
ये पेड़ भी जुबाँ रखते हैं साजों की तरह
इनकी उदासी को ज़रा दूर तो कीजिये
जिनका जहाँ में कहीँ और ठिकाना न रहा
उनके दिलों में फिर से रोशनी तो कीजिये
@मीना गुलियानी
कुछ ठण्डे पानी के छींटे इन पर दीजिये
तुमको भी याद कर लेंगे इस बहाने से हम
दो चार पत्थर ज़रा इधर फेंक तो दीजिये
जीना मरना तो यहाँ लगता ही रहेगा
कुछ घड़ी आराम से ज़रा जी तो लीजिये
ये पेड़ भी जुबाँ रखते हैं साजों की तरह
इनकी उदासी को ज़रा दूर तो कीजिये
जिनका जहाँ में कहीँ और ठिकाना न रहा
उनके दिलों में फिर से रोशनी तो कीजिये
@मीना गुलियानी
बड़ी अच्छी लगी यह बात..
जवाब देंहटाएं"ये पेड़ भी जुबाँ रखते हैं साजों की तरह"