इतना दुःख मन में इकट्ठा हो गया
देख तुमको भूलने लगा हूँ मैं अब
कितनी चट्टानों से गुज़रा पाँव में छाले पड़े
सोचो कितनी तकलीफों से गुज़रा हूँ अब
मेरी जिंदगी का अब कोई मकसद नहीँ
इस इमारत में कोई गुम्बद नहीँ है अब
इस चमन को देखो सुनसान नज़र आये
एक भी पंछी शायद यहॉ नहीँ है अब
पहले तो सब अपने से लगते थे यहॉ
दिलकश नज़ारे पराये लगने लगे अब
आज मेरा साथ दो मुझको यकीं है मगर
पत्थरों में चीख कारगर होगी न अब
@मीना गुलियानी
देख तुमको भूलने लगा हूँ मैं अब
कितनी चट्टानों से गुज़रा पाँव में छाले पड़े
सोचो कितनी तकलीफों से गुज़रा हूँ अब
मेरी जिंदगी का अब कोई मकसद नहीँ
इस इमारत में कोई गुम्बद नहीँ है अब
इस चमन को देखो सुनसान नज़र आये
एक भी पंछी शायद यहॉ नहीँ है अब
पहले तो सब अपने से लगते थे यहॉ
दिलकश नज़ारे पराये लगने लगे अब
आज मेरा साथ दो मुझको यकीं है मगर
पत्थरों में चीख कारगर होगी न अब
@मीना गुलियानी
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