मेरे दिल के ज़ख़्म अभी हरे हैं अभी
मत कुरेदो उन्हें लहू निकल आएगा
दिल क्या उबर पायेगा गमों से कभी
आशियाँ उजड़ा क्या वो बस पायेगा
मैंने अक्सर तलाशा बीते लम्हों को
वैसा नक्श क्या फिर उभर पायेगा
भर गया दिल मेरा तेरी बेरुखी देखकर
याद करके नश्तर दिल में उतर जाएगा
@मीना गुलियानी
मत कुरेदो उन्हें लहू निकल आएगा
दिल क्या उबर पायेगा गमों से कभी
आशियाँ उजड़ा क्या वो बस पायेगा
मैंने अक्सर तलाशा बीते लम्हों को
वैसा नक्श क्या फिर उभर पायेगा
भर गया दिल मेरा तेरी बेरुखी देखकर
याद करके नश्तर दिल में उतर जाएगा
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