मुझे खुद पे ऐतबार है लेकिन
ये ज़ुबाँ फिसल न जाए कहीँ
तुम रहो हमेशा हमारे ही आस पास
नज़र नवाज़ नजारे बदल न जाए कहीँ
तमाम उम्र अकेले सफर किया हमने
साथ पाके आदत बदल न जाए कहीँ
तुम्हारे ख़्वाब कभी शोला हुआ करते थे
देखो कहीँ वो कमज़ोर पड़ न जाए कहीँ
एहसास से लबालब भरा हुआ हूँ
तेरे आँसुओं में डूब न जाऊँ कहीँ
@मीना गुलियानी
ये ज़ुबाँ फिसल न जाए कहीँ
तुम रहो हमेशा हमारे ही आस पास
नज़र नवाज़ नजारे बदल न जाए कहीँ
तमाम उम्र अकेले सफर किया हमने
साथ पाके आदत बदल न जाए कहीँ
तुम्हारे ख़्वाब कभी शोला हुआ करते थे
देखो कहीँ वो कमज़ोर पड़ न जाए कहीँ
एहसास से लबालब भरा हुआ हूँ
तेरे आँसुओं में डूब न जाऊँ कहीँ
क्या बात हैं....मुझे खुद पे ऐतबार है लेकिन
जवाब देंहटाएंये ज़ुबाँ फिसल न जाए कहीँ