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मंगलवार, 7 मार्च 2017

आँसुओं से तेरा नाम जुड़ गया

शायद इन खण्डहरों में होंगीं तेरी सिसकियाँ मौजूद
मेरा पाँव न जाने क्यों जाते जाते इस ओर मुड़ गया

अपने घर से चला था मैं तो सुकून की तलाश में
न जाने क्या अपशकुन हुआ बरगद उखड़ गया

दुःख को तो बहुत छुपाया रखा था सबसे दूर
सुख जाने कैसे बन्द डिबिया से भी उड़ गया

कितने सपने सजाके चले थे सफर पे साथ हम
आया हवा का तेज़ झोंका वो  मेला उजड़ गया

तमाम उम्र भी हमने जिक्र न किया था किसी से
आखिरी वक्त पे आँसुओं से तेरा नाम जुड़ गया
@मीना गुलियानी 

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