लबों की बातें हम सुन न पाए
नज़र भी उनकी झुकी हुई है
कहीं थीं तुमने हँसते हँसते
बातें वहीं पर रुकी हुईं हैं
जवाब मांगो तो क्या कहूँ मैं
कैसे तुम्हारा जिक्र करूँ मैं
ह्या से चेहरा उठा न पाओ
नज़र तुम्हारी झुकी हुई है
बताओ दिल में क्या है तुम्हारे
खुले हुए हैं गेसू तुम्हारे
आँखों में कितना गहरा तूफां
बरसात जैसे बनी हुई है
जो न कहोगे और चुप रहोगे
करेंगे तेरा इंतज़ार फिर भी
सुनेंगे तेरी तो हम सदायें
वफ़ा में मेरी कमी नहीं है
@मीना गुलियानी
नज़र भी उनकी झुकी हुई है
कहीं थीं तुमने हँसते हँसते
बातें वहीं पर रुकी हुईं हैं
जवाब मांगो तो क्या कहूँ मैं
कैसे तुम्हारा जिक्र करूँ मैं
ह्या से चेहरा उठा न पाओ
नज़र तुम्हारी झुकी हुई है
बताओ दिल में क्या है तुम्हारे
खुले हुए हैं गेसू तुम्हारे
आँखों में कितना गहरा तूफां
बरसात जैसे बनी हुई है
जो न कहोगे और चुप रहोगे
करेंगे तेरा इंतज़ार फिर भी
सुनेंगे तेरी तो हम सदायें
वफ़ा में मेरी कमी नहीं है
@मीना गुलियानी
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