हर आहट पे तेरे आने का गुमा होता है
दिल के दरवाज़े पे खटका तेरा होता है
पहरों बीत जाते हैं तेरी यादों में
हर लम्हे में तजुर्बा नया होता है
तुमको फुरसत नहीं मिलती आने की
हम पे इस ज़माने का पहरा होता है
दिखाएँ जख्म तुम्हें क्या उल्फत के
क्या बताएँ दिल में दर्द कहाँ होता है
हम तो तेरी चौखट पे सजदा करते हैं
बड़ा पोशीदा वो लम्हा मेरा होता है
@मीना गुलियानी
दिल के दरवाज़े पे खटका तेरा होता है
पहरों बीत जाते हैं तेरी यादों में
हर लम्हे में तजुर्बा नया होता है
तुमको फुरसत नहीं मिलती आने की
हम पे इस ज़माने का पहरा होता है
दिखाएँ जख्म तुम्हें क्या उल्फत के
क्या बताएँ दिल में दर्द कहाँ होता है
हम तो तेरी चौखट पे सजदा करते हैं
बड़ा पोशीदा वो लम्हा मेरा होता है
@मीना गुलियानी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें