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बुधवार, 7 मार्च 2018

आके तुम इसे जला जाओ

दिखता है हर ओर अँधेरा
उत्तर दक्षिण पूर्व पश्चिम
चारों ओर अँधेरा छाया
सूझे न कोई राह मुझे

मन का कोरा मेरा आँचल
रोते रोते भीग गया है
भूले से ही सही तुम आओ
एक बार तो राह दिखाओ

यह जीवन की पगडंडी
पलक झपकते डसती है
जीवन की नागिन मुझ पर
मौत बनकर हँसती है

जिंदगी की रहगुज़र कैसे होगी
हर तरफ एक परछाईं है
एक अक्स नज़र आता है
दुनिया में कौन किसका है

ये जिंदगी एक रात की है
प्यार एक चिराग सा है
जितनी देर तक जल सके
आके तुम इसे जला जाओ
@मीना गुलियानी

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