जब सुहानी भोर दस्तक देती है
तुम्हारी आँखे अधखुली होती हैं
नर्म अंगुलियाँ मेरी हथेली को
छूकर मेरी धड़कनें बढ़ा देती हैं
तमाम यादें फिर से उभर आती हैं
बीते पलों की याद दिलाती हैं
दुनिया का वजूद हम भूल जाते हैं
अपनी यादों का मेला सजाते हैं
जी चाहता है तुम मेरे पास बैठो
चुपचाप मुस्कुराते हुए मुझे निहारो
दिल की संवेदना मुझ पर उढ़ेलो
ख्यालों की दुनिया में सिमट जाओ
@मीना गुलियानी
तुम्हारी आँखे अधखुली होती हैं
नर्म अंगुलियाँ मेरी हथेली को
छूकर मेरी धड़कनें बढ़ा देती हैं
तमाम यादें फिर से उभर आती हैं
बीते पलों की याद दिलाती हैं
दुनिया का वजूद हम भूल जाते हैं
अपनी यादों का मेला सजाते हैं
जी चाहता है तुम मेरे पास बैठो
चुपचाप मुस्कुराते हुए मुझे निहारो
दिल की संवेदना मुझ पर उढ़ेलो
ख्यालों की दुनिया में सिमट जाओ
@मीना गुलियानी
शानदार मीना जी!
जवाब देंहटाएंएहसास जगाती हसरतों का तरन्नुम है आपकी गजल।
बहुत प्यारी।