माता पिता के प्रेम का कैसे क़र्ज़ चुकायेंगे
बच्चों के सुख खातिर कितने ग़म उठायेंगे
कैसे भूलेंगे हम वो पल जब माँ थी लोरी गाती
खुद भूखी रहकर भी हमको भरपेट वो खिलाती
राजा बेटा रानी बिटिया कहकर गले लगाती
पापा से जब डाँट पड़ती वही आके हमें बचाती
बचपन के दिन हमें याद हैं करते थे हम मौज
पापा की पीठ के घोड़े पर चढ़ते थे हर रोज़
माँ की ममता का न कोई सांनी न ऐसा ज्ञाता
बच्चे की वो प्रथम गुरु है वो ही भाग्यविधाता
पापा भी हैं सबको प्यारे हम हैं उनकी आँख के तारे
आँखे उनकी भी भर आती जब बेटी ससुराल पधारे
@मीना गुलियानी
बच्चों के सुख खातिर कितने ग़म उठायेंगे
कैसे भूलेंगे हम वो पल जब माँ थी लोरी गाती
खुद भूखी रहकर भी हमको भरपेट वो खिलाती
राजा बेटा रानी बिटिया कहकर गले लगाती
पापा से जब डाँट पड़ती वही आके हमें बचाती
बचपन के दिन हमें याद हैं करते थे हम मौज
पापा की पीठ के घोड़े पर चढ़ते थे हर रोज़
माँ की ममता का न कोई सांनी न ऐसा ज्ञाता
बच्चे की वो प्रथम गुरु है वो ही भाग्यविधाता
पापा भी हैं सबको प्यारे हम हैं उनकी आँख के तारे
आँखे उनकी भी भर आती जब बेटी ससुराल पधारे
@मीना गुलियानी
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