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मंगलवार, 29 नवंबर 2016

दिल ये कभी टूटे ना

आओ बसा लें अपनी जन्नत जिसको ज़माना लूटे  ना
खुशियाँ या गम साथ सहें हम हाथ हमारा छूटे ना

तू मेरे लिए मैं तेरे लिए एक दूजे के हो जाएँ
न गम हो जहाँ खुशियाँ हो वहाँ
ऐसा जहाँ हम बसाएँ
तू भी लगादे दिल की बाजी
खेल अधूरा छूटे ना

हर पल हो हँसी न आँखे हो नम इतनी ख़ुशी हम पाएं
मिलते ही रहें न बिछड़ें कभी
वो आशियाँ हम बनायें
तुम भी कभी न रूठो मुझसे
मैं भी कभी रूठूँ ना

मिले चाहे ख़ुशी या मिले कोई गम संग मिलके हम बंटाएं
चाहे थोड़ा मिले चाहे ज्यादा मिले
संग संग जीवन बिताएं
थाम लेना आगे बढ़कर
दिल ये कभी टूटे ना
@मीना गुलियानी

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