तुम ज़रा अब खामोश हो जाना
@मीना गुलियानी
सुनाती हूँ तुम्हें मैं अफसाना
न भरना अपनी आँखों में आँसू
सुनो जब मेरा तुम ये फ़साना
डूबने को है अब सफीना मेरा
जब मैं आवाज़ दूँ तुम चले आना
मेरी मुश्किलें सारी दूर हो जायेंगी
ऐसे आलम में तुम नज़र आना
मेरी किश्ती लगा दो साहिल के पार
तूफानों से कहदो जिंदगी में न आना
तुमको आखिरी सलाम भेजा तो है
अपने आँसुओं को न अब ढलकाना
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