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सोमवार, 7 नवंबर 2016

फिर से लौट आओगे

तुमको भूल जाने की कोशिश में
यूँ ही दिन रात जीते मरते हैं
यूँ ही यादों में दिन गुज़रता है
लम्हे यूँ ही मेरे  गुजरते हैं

                                   सोचा न था कि दिन ऐसा भी कभी आएगा
                                   तेरा साया भी कभी दूर मुझसे जाएगा
                                    हमने तो तुझे अपने सीने में छिपा रखा था
                                    क्या पता था  दामन छुड़ाके निकल जाएगा

बीते लम्हो की यादें ही सिर्फ बाकी हैं
वो पल जो गुज़रे साथ वही मेरे साथी हैं
यकीं है  मुझे तुम भी न भुला पाओगे
  मेरी दुनिया में  फिर से लौट आओगे
@मीना गुलियानी 

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