ऐ दिल क्यों तू इस कदर
होता है बेकरार क्यों
दिल का चमन उजड़ गया
गुलशन का ऐतबार क्यों
माली ने सींचा था प्रेम से
पौधा भी कितना बड़ा किया
पर जो नसीब में था लिखा
उसको वही है मिल गया
रुठी हैं अब फ़िज़ाएं भी
लो चल पड़ीं हवाएँ भी
महफिलें भी उठ गईं
बुझ गईं शमाएं भी
दिल को सुकूँ कैसे मिले
कैसे मिटाएं शिकवे गिले
कैसे कम हो ये फासले
कोई दिलाए वो हौसले
@मीना गुलियानी
होता है बेकरार क्यों
दिल का चमन उजड़ गया
गुलशन का ऐतबार क्यों
माली ने सींचा था प्रेम से
पौधा भी कितना बड़ा किया
पर जो नसीब में था लिखा
उसको वही है मिल गया
रुठी हैं अब फ़िज़ाएं भी
लो चल पड़ीं हवाएँ भी
महफिलें भी उठ गईं
बुझ गईं शमाएं भी
दिल को सुकूँ कैसे मिले
कैसे मिटाएं शिकवे गिले
कैसे कम हो ये फासले
कोई दिलाए वो हौसले
@मीना गुलियानी
सुप्रभात मीना जी बहुत ही सुन्दर 👌👌
जवाब देंहटाएंरुठी हैं अब फ़िज़ाएं भी
लो चल पड़ीं हवाएँ भी
महफिलें भी उठ गईं
बुझ गईं शमाएं भी