मन भूला नहीं मधुर क्षण
स्वीकारा था तुमने निमन्त्रण
आँखों ही से हुई थी बतियाँ
चाहत भरी तेरी वो पतियाँ
कितना माधुर्य भरा था
नैनों में प्यार उमड़ा था
मदभरे थे वो चंचल नैना
दिल बोल उठा क्या कहना
तेरे नैना भी सकुचाए
लब कुछ भी बोल न पाए
हिरणी सी तेरी दो आँखें
मेरे दिल का चैन उड़ाए
कस्तूरी सी गन्ध है तुझमें
उसे पाके खिंचा आता मन
जाने क्या जादू किया है
तेरे नैनों की भोली चितवन
@मीना गुलियानी
स्वीकारा था तुमने निमन्त्रण
आँखों ही से हुई थी बतियाँ
चाहत भरी तेरी वो पतियाँ
कितना माधुर्य भरा था
नैनों में प्यार उमड़ा था
मदभरे थे वो चंचल नैना
दिल बोल उठा क्या कहना
तेरे नैना भी सकुचाए
लब कुछ भी बोल न पाए
हिरणी सी तेरी दो आँखें
मेरे दिल का चैन उड़ाए
कस्तूरी सी गन्ध है तुझमें
उसे पाके खिंचा आता मन
जाने क्या जादू किया है
तेरे नैनों की भोली चितवन
@मीना गुलियानी
वाह उम्दा ।
जवाब देंहटाएंप्रेम के पलों का बेहतरीन वर्णन....
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