जीवन की डगर नहीं है आसां
फिर भी तुझे चलते जाना है
चाहे दिल हो बोझ से भारी
कदम न तुझे पीछे हटाना है
रास्ते में विकट पहाड़ भी होंगे
टूटते साये भी साथ न होंगे
पर तुझ हर हाल में केवल
कदम को आगे ही बढ़ाना है
लहरें सागर के तट से टकरातीं हैं
बदरिया भी घिरके छा जाती है
कौंधती है डराती है दामिनी भी
पर रख हौंसला न डगमगाना है
@मीना गुलियानी
फिर भी तुझे चलते जाना है
चाहे दिल हो बोझ से भारी
कदम न तुझे पीछे हटाना है
रास्ते में विकट पहाड़ भी होंगे
टूटते साये भी साथ न होंगे
पर तुझ हर हाल में केवल
कदम को आगे ही बढ़ाना है
लहरें सागर के तट से टकरातीं हैं
बदरिया भी घिरके छा जाती है
कौंधती है डराती है दामिनी भी
पर रख हौंसला न डगमगाना है
@मीना गुलियानी
बहुत खूब मीना जी सुप्रभात
जवाब देंहटाएंजी बहुत सुंदर हौसला बढाती रचना।
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