काला कौआ मुँडेर पे सुबह से बोले
सुनके काँव काँव जियरा मेरा डोले
शायद पिया का संदेशा वो ले आये
मनवा ख़ुशी से मेरा झूमे और गाये
काली कोयल जब भी कूक सुनाये
दिल को मेरे वो तो घायल कर जाए
अपनी मीठी वाणी में बोल सुनाये
बतियाँ अपनी सारी वो कह जाए
खोलके अपनी खिड़की और चौबारे
आ बैठी हूँ राह में उनकी नैन पसारे
गगन चंदा तू भी ज़रा राह दिखाना
उनकी राहों से हम अब शूल बुहारें
आयेंगे जब लौटके वो पिया हमारे
गगन में तब जगमग चमकेंगे तारे
@मीना गुलियानी
सुनके काँव काँव जियरा मेरा डोले
शायद पिया का संदेशा वो ले आये
मनवा ख़ुशी से मेरा झूमे और गाये
काली कोयल जब भी कूक सुनाये
दिल को मेरे वो तो घायल कर जाए
अपनी मीठी वाणी में बोल सुनाये
बतियाँ अपनी सारी वो कह जाए
खोलके अपनी खिड़की और चौबारे
आ बैठी हूँ राह में उनकी नैन पसारे
गगन चंदा तू भी ज़रा राह दिखाना
उनकी राहों से हम अब शूल बुहारें
आयेंगे जब लौटके वो पिया हमारे
गगन में तब जगमग चमकेंगे तारे
@मीना गुलियानी
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